डेराबस्सी का एक किसान कर रहा ऐसी खेती, जिस में लगते हैं 2 साल
डेराबस्सी: मंजिल उन्हीं को मिलती है; जिनके सपनो में जान होती है; पंख से कुछ नहीं होता; हौंसलों से ही उड़ान होती है और इसी हौंसले की बदौलत आज पंजाब के डेराबस्सी के जवाहरपुर गांव का एक किसान अपने सपनों को हकीकत में बदल रहा है। साथ ही लोगों को भी स्वस्थ और सस्ते दामों पर ऑर्गेनिक प्रोडक्ट मुहैया करवा रहा है। किसान गुरमेल सिंह 51 साल का कहना है कि अपने स्वर्गीय पिता मूलक सिंह से सीखा है की खेती करनी है तो प्राकृतिक ढंग से करनी है। कोई भी केमिकल इस्तेमाल नहीं करना है। उन्हीं से सीखी यह बात वह अच्छे ढंग से पूरी कर रहे हैं। अपने खेतों में आज वह ऑर्गेनिक तरीके से गन्ने के रस से तैयार सिरका (Sugarcane Vinegar) तैयार कर रहे हैं। बता दें कि ऑर्गेनिक तरीके से गन्ने के रस से तैयार सिरका (Sugarcane Vinegar) को तैयार होने में 2 साल का समय लगता है। गन्ने की फसल को तैयार होने में एक साल तो वहीं ऑर्गेनिक तरीके से गन्ने के रस से तैयार सिरका (Sugarcane Vinegar) को तैयार होने में भी एक साल लग जाता है।

मिट्टी के मटकों में तैयार होता है सिरका : किसान गुरमेल सिंह अपने 24 साल के बेटे जगदेव सिंह के साथ मिलकर मिट्टी के मटकों में सिरका तैयार करते हैं। कहते हैं कि मिट्टी के मटकों में इस लिए ये सब किया जाता है ताकि लोगों तक सिरका प्राकृतिक ढंग से तैयार बिना किसी केमिकल के मुहैया करवाया जा सके। 400 क्विंटल गन्ने की फसल से 800 लीटर सिरका तैयार करते हैं। बाजार में जहां 1 लीटर गन्ने का सिरका करीब 900 रुपये में मिलता है तो वहीं गुरमेल सिंह ऑर्गेनिक गन्ने का सिरका सिर्फ 200 रुपये प्रति लीटर बेच रहे हैं।
गन्ने के रस से तैयार सिरके के खेती का आईडिया कहाँ से आया : किसान गुरमेल सिंह ने बताया कि ये आईडिया नहीं है बल्कि उनकी पुस्तैनी खेती है। जो उनके पिता मूलक सिंह सिर्फ घर के लिए किया करते थे। एक दो मटकों में सिरके को तैयार करते थे जिसे घर पर लोग इस्तेमाल करते थे और थोड़ा बहुत गांव के लोगों को दे दिया करते थे। लोगों को सिरका अच्छा लगता था धीरे धीरे लोगों की डिमांड बढ़ने लगी। फिर सब से निर्णय लिया कि अब इसे कमर्शियल कर दिया जाए लेकिन वर्ष 2020 में ही गुरमेल सिंह के पिता मूलक सिंह का देहांत हो गया। 98 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। गुरमेल सिंह कहते हैं कि पिता जी ने हमेशा ऑर्गेनिक खेती की है चाहे घर के लिए हो या बाहर बेचने के लिए हो। खुद तो अच्छा खाया ही है लोगों को भी अच्छा खिलाया है। इसी का परिणाम है कि वह 98 साल तक भी एक्टिव थे।

कितना खर्च आता है इस तरह की खेती और क्या कमाई होती है : गुरमेल सिंह ने बताया कि 2020 से अब तक 14 लाख के करीब इस खेती पर खर्च आ चुका है और अब तक वह 10000 बोतल सिरके की बेच चुके हैं अभी प्रॉफिट की तरफ उन का फोकस नहीं बल्कि लोगों को अच्छा सिरका मुहैया करवाना मोटिव है। बिक्री धीरे धीरे बढ़ रही है। बता दें कि गुरमेल सिंह अपने बेटे जगदेव सिंह के साथ मिलकर खुद ही अपनी कार की डिक्की में प्यारी सी दुकान लगा कर जीरकपुर और डेराबस्सी की मार्किट में सिरके की प्रमोशन करते हैं और सिरके को बेचते हैं। बेटे जगदेव सिंह ने बताया कि खुद तैयार कर बेचने से लोगों को ये ऑर्गेनिक प्रोडक्ट सस्ते में मिल रहा है। नहीं तो इस कि कीमत बहुत ज्यादा होती। जगदेव कहते हैं कि वह अपनी वेबसाइट भी बनवा रहे हैं जहां लोग डायरेक्ट वेबसाइट पर लॉगऑन कर इसे खरीद सकेंगे।

इस के लिए क्या कोई लाइसेंस लिया है : बेटे जगदेव ने बताया कि सिरके को सेल करने के लिए उनके पास फूड लाइसेंस हैं साथ ही उनकी फार्म जगदीश वेदर फार्मर्स (Jagdev Weather Famers) भी एक रजिस्टर्ड फार्म है।

पंजाब सरकार से हैं नाराज़ : किसान गुरमेल सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार भले ही ऑर्गेनिक खेती करने को बढ़ावा देती हो लेकिन जो किसान इस खेती को कर रहे हैं उन्हें कोई सहायता नहीं दी जा रही है। कहते हैं कि गन्ने की कढ़ाई के लिए पावर वीडर खरीदा था जिस की कीमत 2 लाख रुपये थी। 26 मार्च 2023 को इसे लिया था। जिस पर सरकार की तरफ से 45 हजार की सब्सिडी मिलनी थी। 45 दिनों के अंडर सब्सिडी मिलने का दावा था 7 महीने बाद ही 45 हजार की सब्सिडी नहीं मिल पाई है। अधिकारी कहते हैं कि सरकार को बिल और अन्य दस्तावेज जमा करवा दिए हैं रुपये सरकार ने देने हैं। सरकार कब रुपये ट्रांसफर करेगी यह अधिकारियों को नहीं पता।

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के पहले किसान : ध्यान दें कि गुरमेल सिंह इस तरह की ऑर्गेनिक खेती जो मटकों में गन्ने के रस से सिरका तैयार कर रहे हैं ऐसा करने वाले वो पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में पहले किसान हैं। अभी तक उत्तर प्रदेश में इस तरह की खेती होती है। लेकिन वो ऑर्गेनिक नहीं है। साथ ही प्लास्टिक के ड्रामों में गन्ने के रस से सिरका तैयार होता है। प्लास्टिक के इस्तेमाल सेहत के लिए हानिकारक है वहीं मार्किट में इस कि कीमत भी बहुत ज्यादा है। गुरमेल सिंह ने बताया कि मटकों में जो सिरका तैयार हो रहा है वो कुदरती है। साथ इसे हर 3 महीने बाद एक मटके से दूसरे में शिफ्ट करने पड़ता है ताकि यह खराब न हो। साथ ही मटके भी स्पेशल बनवाने पड़ते हैं 45 लीटर का का मटका बनवाना पड़ता है जो 700 रुपये का बनता है। इसे तैयार होने में गर्मी, सर्दी और बारिश तीनों तरह का मौसम चाहिए होता है। वहीं सिरके को तैयार करने से पहले जो सिरका पहले तैयार है उसे थोड़ा मटकों में डालते हैं ताकि अच्छे से बैक्टीरिया मिक्स हो जाए और सिरका अच्छे से फार्मालेशन हो जाये।
यह फायदे हैं ऑर्गेनिक गन्ने के रस से तैयार सिरके के : मोटापा कम करने, पेट गैस को दूर करने, बदहजमी, मधुमेह रोग को ठीक करने, पीलिया को ठीक करने में उपयोगी माना जाता है। गुरमेल सिंह ने बताया कि ये 70-80 साल पहले हर घर में इस्तेमाल किया जाता था। जो कि तंदरुस्ती का राज था। आज इस का उपयोग लुप्त हो गया है। उन्होंने बताया कि वह ऑर्गेनिक ढंग से तो इसे तैयार कर ही रहे हैं साथ ही कांच की बोतल में इसे बाजार में बेच रहे हैं नाकि प्लास्टिक की बोतल में। कांच की बोतल से यह ऑर्गेनिक बरकरार रहता है।