चंडीगढ़ में दवाओं के रेटों पर लगेगा लगाम

चंडीगढ़ में दवाओं के रेटों पर लगेगा लगाम
– जल्द होगा फार्मास्यूटिकल प्राइस मॉनीटरिंग रिसोर्स यूनिट एंड सोसायटी का गठन
– हैल्थ सचिव के पास आया केंद्रीय हैल्थ मंत्रालय का पत्र

चंडीगढ़। प्रशासन का स्वास्थ्य विभाग जल्द ही फार्मास्यूटिकल प्राइस मॉनीटरिंग रिसोर्स यूनिट एंड सोसायटी का गठन करने जा रहा है। इसका रजिस्ट्रेशन करा लिया गया है, लेकिन फिलहाल इसे शुरू करने में थोड़ा समय लगेगा। इसके गठन का मकसद दवाओं के निर्माताओं,डीलरों व मार्केटर्स पर रेट को लेकर शिकंजा कसना है ताकि उपभोक्ताओं से लूट न हो और एमआरपी से कई गुणा अधिक दाम केमिस्ट न वसूल सकें। चंडीगढ़ के तीन कैमिस्टों पर इसी को लेकर ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से छापेमारी की गई और उन्हें कुछ स्थानीय दवा निर्माताओं की दवाओं पर इनिशियल सेल से कई गुणा ज्यादा दाम वसूली करते हुए पकड़ लिया गया। कैमिस्ट के पास दवा बेचने से पहले स्टेट ड्रग कंट्रोलर व नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग, अथॉरटी, नई दिल्ली को नॉन शिड्यूल फॉर्मयूलेशंस के बारे सूचित करना होता है। कैमिस्टों पर हुई कार्रवाई और बिना सूचना अधिक रेट पर दवा बेचने को लेकर उन पर कार्रवाई करने को कहा गया है।

तीन कैमिस्टों के स्टोर पर मारा था छापा : चंडीगढ़ प्रशासन के स्वास्थ्य विभाग के ड्रग इंस्पेक्टरों ने 15 अप्रैल को जीएमएसएच 16 में स्थित तीन कैमिस्टों के स्टोर पर छापा मारा था। मैगलड्रेट, सीमेथिकॉन एंड आॅक्सीटाकेन सस्पेंशन सॉल्ट की जगह अलग अलग सिरप मरीजों को दे रहे थे। ड्रग इंस्पेक्टरों ने ड्रग कंट्रोलर को मामले की जानकारी दी जिस दौरान पाया कि परवाणु की दवा निर्माता कंपनी का इस मिश्रण का ब्रांड मकैन कम दाम पर बिकना चाहिए था। मकैन सस्पेंशन सस्पेंशन की निर्माता कंपनी से कई गुणा महंगा बेचा जा रहा था।

मोहाली में ज्यादा MRP पर बेची जा रही दवाईयां : इसी तरह मोहाली के दवा निर्माता की रीकेन नाम से सस्पेंशन को मनुफेक्चरर के इनिशियल प्राइस से 837 प्रतिशत ज्यादा कीमत (एमआरपी) पर बेचा जा रहा था। इसी तरह बद्दी की दवा निर्माता कंपनी का ब्रांड सूफिट-ओ भी निर्माता के इनिशियल सेल प्राइस से 889 प्रतिशत ज्यादा कीमत (एमआरपी) पर बेचा जा रहा था। यानि मरीजों से डिस्काऊंट के बाद भी जबरदस्त लूट की जा रही थी।


स्वास्थ्य सचिव के पास आया मिनिस्ट्री की ओर से जवाब: स्वास्थ्य विभाग के इस लैटर का रिस्पांस भी स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग के पास आया है जिसमें कहा गया है कि नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरटी यह सुनिश्चित करता है कि दवाओं के दाम ड्रग्स प्राइसिज कंट्रोल आर्डर 2013 के अनुरूप हो। मैकेन, रीकेन एवं सूफिट-ओ ब्रांड डीपीसीओ, 2013 के तहत  नॉन शिड्यूल फॉर्मूलेशंस हैं। एनपीपीए ने इसके रेट फिक्स नहीं किये हैं लेकिन एनपीपीए यह देखता है कि कोई भी दवा निर्माता अपनी दवाओं के रेट साल में 10 प्रतिशत से ज्यादा न बढ़ा पाए। जिन दवा निर्माताओं, डीलरों व मार्केटर्स के नामों का जिक्र स्वास्थ्य विभाग ने किया है, उन्होंने एनपीपीए को फार्म 5 सबमिट नहीं किया है। एमआरपी में 2013 से बदलाव को देखे जाने की जरूरत है। इन दवा निर्माताओं को निर्देश दिया गया है कि वह अलग से अपना डाटा इसको लेकर सबमिट करें

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