पेड पार्किंग मामला – सत्ता पक्ष भाजपा के बीच अंतर कलह

चंडीगढ़। पेड पार्किंग के मामले में सत्ता पक्ष भाजपा के बीच अंतर कलह होना कोई नयी बात नहीं है। इससे पहले भी अतीत में निगम सदन की बैठके इसका गवाह बनती रही है। वर्ष 2017 से 2021 तक की सदन के बात करें तो तब बीजेपी अपने 21 पार्षदों के साथ पूरे बहुमत पर थी। लेकिन तब वर्तमान समय के की तुलना में गुटबाजी चरम पर थी। वर्ष 2018 में सबसे पहले सत्ता पक्ष पार्षदों के बीच पेड पार्किंग को लेकर गुटबाजी खुलकर समाने आई थी। तब आर्या  इंफ्रा कंपनी से पार्किंग का कब्जा वापस लेने और निगम खुद अपने हाथो में लिए जाने को लेकर विशेष सदन बैठक बुलाई गई थी। तब बीजेपी के एक पार्षद का गुट कंपनी के ही संचालन के पक्ष में था तो एक गुट कब्जा वापस लेने के पक्ष में था। ठीक पांच वर्ष पहले की  उस हंगामेदार सदन बैठक में समर्थक पार्षदों ने कानूनी पाठ पढ़ाते हुए धारा  की रिकवरी लगने के भी दावे किए गए थे। उस सदन में कानून का पाठ पढ़ाने वाले समर्थक पार्षदों ने तंज भी कसा था कि हमारे पास  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पैरवी करने वाले वकील भी हैं।
खैर समय बीता गया, इस बीच जुलाइ में कंपनी से कब्जा ले लिया गया। हालांकि कपंनी स्टे लेने में सफल रही। वर्ष 2019 आते फरवरी में कंपनी से अंत: फिर से कब्जा ले लिया गया। तब कंपनी को बकायदा लाइसेंस फीस नहीं चुकाए जाने पर मानयीय कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी और निगम के हाथों में कब्जा रहा। उसी वर्ष फिर से कंपनी की तलाश और नए प्रस्ताव को लेकर रूपरेखा तय की गई। मेयर ने पार्षदों की कमेटी का गठन कर दिया। उस कमेटी के चेयरमैन – तत्कालीन पार्षद और वर्तमान में बीजेपी प्रधान अरुण सूद थे। पार्किंग को लेकर तब भी पार्षदों में सहमति नहीं बन पा रही थी। मसला सांसद किरण खेर के दिल्ली आवास तक भी पहुंचा। तब कुछ पार्षद पेड पार्किंग के प्रस्ताव में थे तो कुछ इसके विरोध में थे। लोक सभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी में जब पिछली पाकिंग कंपनी का ठेका कैंसिल हुआ  तब सांसद खेर बकायदा एक पार्किंग स्थल पर पहुंची थी और उन्होंने सवाल उठाए थे कि जब स्मार्ट फीचर ही नहीं है तो उस तर्ज पर पैसे की वसूली क्यों क जा रही है ? सांसद ने बकायदा खुद का वीडियो भी जारी किया था। हालांकि इसके आगे के कुछ महीने में उनका रवैया भी बदल गया।
उसी वर्ष जुलाई में विशेष बैठक का आयोजन किया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।  सितंबर आते सदन की बैठक हुई उस बैठक में बकायदा सांसद खेर भी पहुंची। तब तय किया गया था कि पार्किंग को जोन-1 और जोन-2 में विभाजित कर शहर भर की 89 पॉर्किंग का संचालन किया जाएगा।  कमेटी चेयरमैन सूद पूरी तरह से प्रस्ताव को पारित करना चाहते थे जिन्हें सांसद सहित बीजेपी के अन्य पार्षदों का भी समर्थन मिला। केवल एकमात्र पार्षद और पूर्व मेयर देवेश मौदगिल इस प्रस्ताव के खिलाफ थे। मौदगिल ने इस प्रस्ताव के विरोध में लिखित नोट भी सदन में दर्ज कराया था। तब सांसद खेर ने मौदगिल पर तंज कसा था कि अगली बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ लेना। जबकि कांग्रेस ने लिखित में तो नहीं सदन से वॉकआउट कर दिया था। उस सदन में सांसद ने मनोरंजन कर का प्रस्ताव रद्द करा दिया था।  कुल मिलाकर वर्तमान में जिस पेड पार्किंग कंपनी के मसले पर आज की सदन बैठक में इतना हंगामा मच रहा है उसक विवाद की नींव तो पहले ही पड़ चुकी थी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *