चंडीगढ़ मेयर के लिए दावेदारी पेश: आप ने जसबीर सिंह लाडी तो भाजपा ने अनूप गुप्ता को बनाया उम्मीदवार

मेयर पद के लिए भाजपा से अनूप गुप्ता और आप से जसबीर सिंह लाडी के बीच मुकाबला होगा। वर्तमान में डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता और लाड़ी को भाजपा-आप ने अपने उम्मीदवार के तौर पर 17 जनवरी को होने जा रहे चुनावी रण में उतरने का फैसला किया। वीरवार को निगम कार्यालय में दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों  ने इन चुनावों को लेकर नामांकन भरने की अंतिम तारीख पर अपने अपने नामांकन पत्र भरे। दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों ने नगर निगम के संयुक्त कमिश्नर गुरिंदर सिंह सोढ़ी के कार्यलय में अपने नामांकन पत्र दाखिल किये। भाजपा ने पार्षद अनूप गुप्ता को मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा ने सीनियर डिप्टी मेयर के लिए अपने पार्षद कंवर राणा और डिप्टी मेयर के पद के लिए हरजीत सिंह को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया।

निगम में विरोधी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) पार्टी की तरफ से अपने पार्षद जसबीर सिंह लाडी को मेयर पद का उम्मीदवार घोषित किया गया । वहीं, पार्षद तरुणा मेहता सीनियर डिप्टी मेयर और सुमन शर्मा को डिप्टी मेयर पद के लिए उम्मीदवार बनाया। सबसे पहले ‘आप’ के उम्मीदवारों ने सीनियर नेताओं की मौजूदगी में  नामांकन पत्र भरे और उसके बाद भाजपा उम्मीदवारों ने सांसद और सीनियर नेताओं की उपस्थिति में इन चुनावों को लेकर अपने नामांकन पत्र दाखिल किए। मेयर चुनाव वाले दिन सीनियर डिप्टी मेयर के लिए  कंवर राणा और आप से तरुणा मेहता जबकि डिप्टी मेयर में भाजपा से हरजीत सिंह और आप से सुमन के बीच मुकाबला होगा।

संभावित किंग मेकर कांग्रेस ने खुद को किया नामांकन प्रक्रिया से दूर, मतदान में हिस्सा लेंगे नहीं खोले पत्ते :

दूसरी तरफ,  खास बात यह रही कि इन चुनाव में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाली 6 पार्षदों की कांग्रेस ने नामांकन प्रक्रिया से खुद को दूर ही रखा। भाजपा और आप की कांग्रेस के कदम पर निगाह गढ़ी हुई थी। हालांकि कांग्रेस मेयर चुनाव वाले दिन मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेने आएगी कि नहीं इस पर आधिकारिक बयान में पत्ते नहीं खोले गए। बल्कि पिछले मेयर के चुनावों में वह चुनावों से दूर रही थी और इस बार के चुनाव की वोटिंग में हिस्सा लेने को लेकर पार्टी ने अभी कोई स्पष्ट बयान जारी नहीं किया। इस बार पार्टी वोटिंग के दौरान सदन में होगी या नहीं इसका हाईकमान से सलाह के बाद ही फैसला लिया जा सकेगा।
नामांकन प्रक्रिया में नहीं आकर यह तो साफ हो गया कि कांग्रेस ने चुनाव रण से खूद को दूर कर लिया। कांग्रेस के इस अनिश्चितता कदम से भाजपा-आप को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
वहीं, आधिकारिक बयान जारी करते हुए चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष एचएस लक्की ने कहा कि चंडीगढ़ की जनता ने 2021 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी को विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया। चंडीगढ़ के वोटरों की इच्छा को सम्मान देते हुए पार्टी नगर निगम में रचनात्मक विपक्ष की भूमिका पूरी ईमानदारी और जोरदार तरीके से निभाएगी। लक्की ने आगे कहा कि चंडीगढ़ कांग्रेस शहर के लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों को पूरे जोर शोर से उठाती रहेगी। वर्ष 2015 के बाद से कांग्रेस का कोई भी मेयर नहीं बन पाया है। अब लगातार आठवे वर्ष में भी यही हालात बन चुके हैं।

अकाली दल ने नहीं लिया कोई फैसला :

एकमात्र वोट के चलते मतदान की स्थिति में कांग्रेस के बाद दूसरी किंग मेकर की भूमिका निभाने वाले शिरोमणि अकाली दल की ओर से चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए अभी कोई फैसला नहीं लिया गया।
पार्टी के पार्षद और शिअद चंडीगढ़ के अध्यक्ष हरदीप सिंह बूटेरला ने बताया कि इस बारे 16 जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के साथ होने वाली मीटिंग के बाद ही फैसला लिया जायेगा। हालांकि अकाली दल की घनिष्ठता भाजपा से अधिक रही है लेकिन उनके कथित घनिष्ठ मित्र पार्षदों को मेयर उम्मीदवार नहीं बना गया।
उधर, चंडीगढ़ के मेयर की सीट पर कौन बैठेगा, इसका फैसला तो  17 तरीक को होने वाले चुनावों के बाद पता लगेगा।

पिछले 6 वर्षो से भाजपा का बनता आ रहा मेयर अब सातवें वर्ष की चुनौती :  

वर्ष 2016 से लगातार भाजपा का मेयर बनता आ रहा है। इन चुनावों पर केद्र सरकार की भी नजर है और दिल्ली में ही बैठे मुख्यमंत्री केजरीवाल भी चंडीगढ़ निगम में आप की सत्ता चाहते हैं।  उधर, अगर कांग्रेस पार्टी इन चुनावों में हिस्सा नहीं लेती तो जहां भाजपा के लिए जीत की राह आसान हो सकती है लेकिन पार्टी को गुटबाजी का भी डर सता रहा है। जबकि इस बार मेयर  चुनाव की जीत का सपना सजाने वाली ‘आप’ को भी फिर से  सपना टूटने का भय सता रहा है।

भाजपा की तरफ से मेयर पद के उम्मीदवार अनूप गुप्ता पर किस्मत मेहरबान :

दिसंबर 2021 निगम चुनाव में पहली बार उतरे और जीत हासिल कर निगम सदन पहुंचे ही अनूप गुप्ता पिछले वर्ष मेयर चुनाव में डिप्टी मेयर बनने में सफल रहे। अब उन पर किस्मत इस कदर मेहरबान रही कि उन्होंने कई वरिष्ठ उम्मीदवार साथी पार्षदों को पछाड़ते हुए मेयर पद के लिए उम्मीदवार बनकर पहली बाधा भी पार कर ली। अब उनकी अगली और सबसे बड़ी बाधा मेयर चुनाव के रण में फेतह हासिल करनी की होगी। कहा जाता है कि वर्तमान बीजेपी प्रधान अरुण सूद शुरू से ही अनूप गुप्ता के पक्ष में थे। गुप्ता के नाम से मुहर लगने से यह भी साफ हो गया पार्टी में सूद का वर्चस्व बरकरार है।


उम्मीदवार की रेस से पिछड़े पार्षदों के चेहरे रहे मायूस :

उम्मीदवार के रेस में शामिल रहे भाजपा और आप पार्षदों के चेहरे पर मायूसी साफ पढ़ी जा सकती थी। जिनके पास हल्के आंसू के बीच  ऊपर से मुस्कुराहट दिखाने के सिवाए कोई चारा नहीं था। इनके समर्थक साथी पार्षद और नेता भी हल्की मुस्कुराहट के साथ निराश दिख रहे थे।


वर्तमान- पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर-डिप्टी मेयर और नेता प्रतिपक्ष तक का मेयर उम्मीदवार की रेस से कटा पत्ता :

वर्तमान सीनियर डिप्टी वरिष्ठ भाजपा पार्षद दिलीप शर्मा, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर महेश इंदर सिंह सिद्धू, वरिष्ठ पार्षद सौरभ जोशी, पूर्व डिप्टी मेयर कंवर जीत सिंह राणा से लेकर आप के नेता प्रतिपक्ष योगेश ढिंगरा का मेयर उम्मीदवार की रेस से पत्ता तक कट गया। सांसद खेर के करीबी सिद्धू तो मूक दर्शक ही बने रहे गए। वर्ष 2021 में भी वह मेयर की रेस में शामिल थे तब रविकांत शर्मा ने बाजी मार ली थी। जिन्हें सीनियर डिप्टी मेयर के लिए संतोष करना पड़ा था।
इसी तरह वर्ष 2019 में डिप्टी मेयर रहे कंवरजीत सिंह राणा महज एक कदम से चूक गए, जिन्हें इस बार सीनियर डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवार से संतोष करना पड़ा। जबकि नामांकन प्रक्रिया में उम्मीदवारों के नामों के ऐलान से एक दिन पहले तक सियासी हल्कों में  इस बार कंवर के लिए लॉबिंग खासी थी। इसी तरह वर्ष 2011 से पार्षद रहे सौरभ जोशी की भी चचाएं थी।

कंवर को मनाना पड़ा :

मेयर पद की रेस में शामिल रहे कंवर को सीनियर डिप्टी मेयर के पद पर नामांकन भरने के लिए मनाना पड़ा। नामांकन से पहले ऊपरी मंजिल पर मेयर रूम में सांसद, प्रदेश अध्यक्ष से लेकर अन्य सभी सीनियर नेता, पार्षद साथ में बैठे रहे। निगम में लोहड़ी का समारोह होने की वजह से सांसद तो 3 बजे ही निगम पहुंच गई थी। कहा जाता है कि जैसे ही उम्मीदवारों के नामों को ऐलान हुआ तब कंवर राणा सीनियर डिप्टी मेयर पद के लिए नामांकन भरने के लिए तैयार नहीं हुए। तब सांसद और अन्य नेताओं ने उन्हें मनाना शुरू कर दिया। इसके बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय टंडन ने कंवर को अपने पास बिठाकर समझाया, तब जाकर कंवर इसके लिए राजी हुए।


आप के मेयर उम्मीदवार अलग खेमे से, अन्य दो पद के उम्मीदवार अलग खेमे से :

वहीं, आप में भी गुटबाजी कही जाती है। मेयर के उम्मीदवार लाडी अलग खेमे से तालुक रखते हैं, जिन्हें संभवत: गर्ग गुट का कहा जाता है। इसी तरह सीनियर डिप्टी मेयर पद की उम्मीदवार तरुणा मेहता को छाबड़ा गुट और डिप्टी मेयर पद की उम्मीवार सुमन को धवन खेमे से कहा जाता है।


राजनीतिक दृष्टि से आने वाले 5 दिन अहम, भाजपा, आप के पार्षद जा सकते है शहर से बाहर :

राजनीतिक दृष्टि से 17 को मेयर चुनाव से पहले तक यह पांच दिन बेहद अहम होने जा रहे हैं, गुटबाजी, क्रास वोटिंग, जोड़-तोड़ की राजनीति का भय दोनों ही दल भाजपा-आप को सता रहा है। कहा जाता है कि दोनों ही दलों के पार्षदों को उनके दल शहर से बाहर ले जा सकते हैं। चुनाव वाले ठीक दिन सभी को शहर लाया जाएगा।

मेयर चुनाव में मतो की स्थिति :

नगर निगम हॉउस में में भाजपा और ‘आप’ की 14-14 सीटें हैं। भाजपा के पास सांसद खेर का एक अतिरिक्त वोट अलग से है। तब यह आंकड़ा 15-14 का रहेगा। जबकि अगर एकमात्र अकाली दल और छह पार्षदों कांग्रेस भाजपा चुनावी रण की मतदान प्रक्रिया में उतरते हैं तो तब इस स्थिति में  मेयर पद के लिए 19 वोट बहुमत साबित करने के लिए चाहिए होगी।

भाजपा पार्टी के भीतर नाराजगी बढ़ी

उधर सूत्रों के अनुसार अनूप गुप्ता को उम्मीदवार बनाये जाने के बाद पार्टी में भीतर नाराज़गी और असंतोष भी बढ़ गया है। अगर नाराज़गी बढ़ी तो विद्रोह का बिगुल भी बज सकता है। कहां जाता है कि गुप्ता के अपने में मस्त रहने वाले रवैये को लेकर भी पार्टी को शिकयत की जा चुकी है। सवाल यह भी है कि ऐसे रवैये में भला गुप्ता मेयर जैसे अहम् पद को कैसे चला पाएंगे? साथ ही सवाल यह भी है कि निगम में जो पार्षद दो से तीन बार जीत कर आए उनके साथ यह किस तरह का इंसाफ हुआ जो उन्हें मेयर पद के लिए दरकिनार कर दिया गया।

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