कचरे की पहाड़ियों से त्रस्त शहरवासियों को मिली बड़ी राहत

चंडीगढ़। कचरे की पहाड़ियों से त्रस्त शहरवासियों को एक बड़ी राहत मिली है। शहर के सेक्टर 25 स्थित सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट (अपग्रेडेड) का वीरवार को प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उद्घाटन किया। सेक्टर-25 और डड्डूमाजरा के मध्य डंप कचरे की बढ़ती पहाड़िया शहर लिए नासूर बनी हुई हैं। खुद निगम के लिए इस स्थिति से निपटना चुनौतीपूर्ण बना हुआ था। दो वर्ष पूर्व प्लांट को टेकओवर करने के बाद इसकी स्थिति और भी जर्जर हालात में पहुंच गई थी। प्लांट के भीतर डंप कचरे का ढेर लगता जा रहा था। अब 6 साल बाद एक बार फिर से यहां गारबेज की प्रोसेसिंग हो सकेगी। इससे रोजाना शहर का 200 टन कचरा प्रोसेस होगा। फिलहाल डड्डूमाजरा के डंपिंग ग्राउंड में कचरा डंप हो रहा है। वहां के लोग सांस और स्किन संबंधी रोग से ग्रस्त हैं।
वहीं, अब अपग्रेडेड प्लांट सुखे कचरे को प्रोसेस कर इसे आरडीएफ (रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल) में बदलने का कार्य करेगा। इस मौके पर शहर की सासंद किरण खेर, मेयर सरबजीत कौर, प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल सहित गृह सचिव नितिन यादव, निगम कमिश्नर अनिंदिता मित्रा के अलावा प्रशासन-निगम के अन्य कई अधिकारी उपस्थित रहे।

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स्वच्छता अभियान को मिली नई ताकत :
राज्यपाल ने कहा कि निगम आज चंडीगढ़ के स्वच्छता अभियान को नई ताकत दी है। निगम टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसने इतने कम समय में प्लांट को अपग्रेड और संचालित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह निगम की ओर से सुंदर शहर को एक उपहार है, जो न केवल शहर को स्वच्छता रैंकिंग में आगे बढ़ाएगा बल्कि चंडीगढ़ के नागरिकों को भी राहत देगा। उन्होंने आगे कहा कि यह कदम यह सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित होगा कि दोबारा डंपिंग साइट नहीं बनेगी।
साथ ही सूखे और गीले दोनों तरह के कचरे को प्लांट में प्रोसेस किया जायगा। नगर निगम के अधिकारियों से बिना किसी रुकावट के पूरी तरह कार्यात्मक और दैनिक आधार पर नियमित रूप से कचरे के प्रोसेसिंग को सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया।


ईमानदारी से प्रयास किए जाएं तो बदलाव संभव : सांसद खेर
वहीं, सांसद किरण खेर  ने कहा कि अगर समस्याओं को पहचान कर ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि ठोस कचरे और गीले कचरे के 100 प्रतिशत प्रोसेसिंग के साथ, चंडीगढ़ फिर से सुंदर शहर का खिताब बरकरार रखेगा। उन्होंने अपग्रेड मशीनरी के साथ इस प्लांट को फिर से शुरू करने के लिए निगम टीम के प्रयासों की सराहना की।


मेयर ने गिनाया इतिहास :
मेयर सरबजीत कौर ने कहा कि यह प्लांट जय प्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड द्वारा वर्ष 2008 में स्थापित किया गया था। 30 वर्षों के लिए निर्मित, स्वामित्व, संचालन और ट्रांसफर के आधार पर और एजेंसी ने वर्ष 2012 में संचालन की अवधि के दौरान टिपिंग शुल्क की मांग की जो समझौते के नियमों और शर्तों से परे था। समय-समय पर मशीनरी का रखरखाव नहीं होने के कारण एजेंसी प्लांट को ठीक से संचालित करने में विफल रही। जून 2020 में समझौता समाप्त कर दिया गया और प्लांट को नगर निगम ने अपने कब्जे में ले लिया।
उन्होंने कहा कि मशीनरी के अपग्रेड के अभाव में 2020 से सूखा कचरा प्लांट बेकार पड़ा हुआ था क्योंकि कुछ मशीनरी अनुपयोगी हो गई थी। हाल ही में, एमसीसी ने मैसर्स एनी एस्टेक्नो प्रा. लिमिटेड, सोनीपत @ 6.20 करोड़ और प्लांट के अपग्रेडेशन पर लगभग 2.91 करोड़ की लागत शामिल है। प्लांट का ऑपरेशन एनी एस्टेक्नो नामक कंपनी को दिया गया प्लांट की रिपेयर और एक साल के ऑपरेशन का खर्च 6 करोड़ से ज्यादा बैठ रहा है। प्लांट की अपग्रेडेशन, रखरखाव और संचालन के लिए जिस कंपनी को जिम्मेवादी दी गई है उसकी समय अवधि 1 वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष तक दी गई है।


शेड का निर्माण कर गीले कचरे की प्रोसेसिंग प्लांट की क्षमता भी बढ़ाई जा रही : सलाहकार
प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल, ने कहा कि यह प्लांट शहर में अपग्रेड होने वाले 100 प्रतिशत  सूखे कचरे को प्रोसेसिंग करेगा जो लगभग 200 टीपीडी है। शेड का निर्माण कर गीले कचरे की प्रोसेसिंग प्लांट की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। इससे क्षमता 120 टीपीडी से बढ़कर 200 टीपीडी हो जाएगी। कुल मिलाकर, नगर निगम शीघ्र ही इस प्लांट में गीले कचरे और सूखे कचरे को 400 टीपीडी की मात्रा में प्रोसेसिंग  करेगा। निगम ने शहर में क्षमता का एक एकीकृत ठोस सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है जो अगले 25 वर्षों के लिए वेस्ट प्रोसेसिंग की जरूरतों का ध्यान रखेगा। आने वाले महीनों में आरएफपी मंगाई जाएगी। इससे पूर्व राज्यपाल ने आरडीएफ पैलेट ले जाने वाले वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और प्लांट में कार्यरत मजदूरों के बीच मिठाइयां भी बांटी।


शहर के कचरे की स्थिति
शहर में रोजाना 550 टन के लगभग कचरा निकलता है। इसमें 250 टन कचरा सूखा होता है। वहीं 300 टन गीला कचरा होता है। गार्बेज प्रोसेसिंग प्लांट में 200 टन सूखा कचरा प्रोसेस किया जाएगा। वहीं 200 टन गीला कचरा कंपोस्ट प्लांट में भेजा जाएगा। वहीं 150 टन कचरा डंपिंग ग्राउंड में ही रखा जाएगा। इसमें 50 टन सूखा और 100 टन गीला कचरा शामिल होगा।

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