सूद ने दिखाया वह ही सही मायने में बिग बॉस


-भविष्य के सांसद पद के उम्मीदवार के तौर पर उभरे
-टंडर, खेर का हमेशा रहा है आर्शिवाद
चंडीगढ़। मनोनित पार्षदों की नियुक्त को लेकर पिछले दिनों काफी हो हल्ला हुआ। नौ चुने गए मनोनित पार्षदों को लेकर निगम सदन की बैठक में हंगाम मचा। जवाब में मनोनित पार्षदों ने भी जवाबी पलटवार किया। जवाबी पलटवार से यही प्रतीत हो रहा था कि वे  पूरी तरह से तैयार होकर और तैयार कर भेजे और आए थे। मनोनित पार्षदों की नियुक्त पर भले ही विपक्षी कांग्रेस, आप यहां तक कि सत्ता पक्ष बीजेपी के भीतर भले ही तरह-तरह की बाते हुई लेकिन सभी की नियुक्ती यह संदेश जरूर चल गया कि बीजेपी के प्रधान और पूर्व मेयर अरुण सूद सबसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं। निगम, प्रशासन सभी जगह सूद की ही चली।

अरुण सूद

वर्तमान मेयर भी सूद के फरमान के आगे नतमस्तक हैं। बीजेपी के सीनियर नेता संजय टंडन और सांसद किरण खेर तो सूद की कार्यक्षमता के पहले ही मुरिद और प्रभावित रहे हैं। टंडर-खेर की सांझा सहमति और आर्शिवाद से सूद प्रधान पद की कुर्सी पर विराजमान हुए थे। खुद टंडन-खेर चाहेेंगे कि उनका यह लाडला और आगे बढ़े।
दिसंबर चुनाव में भले ही बीजेपी की 12 सीटे आई लेकिन इसके बाद भी सत्ता पक्ष ना केवल अपना मेयर बनाने में सफल रही बल्कि कांग्रेस से दो पार्षदों को तोड़ने में सफल रही। यह सभी सूद की सूझ-बूझ का नतीजा रहा, जिनकी विशेषता यह है कि वह मन में ठान लेते हैँ वह करके ही दम लेते हैं। वर्तमान मेयर सरबजीत कौर तो सूद से बाहर नहीं है। निगम की विशेष बैठक बुलाने से लेकर अहम प्रस्तावों पर पहले सूद की सहमति होती है। जिनका बतौर पूर्व मेयर-पार्षद का अनुभव समय समय पर निगम के काम आता है। अब तो मनोनित पार्षद भी सूद के आदेश से बाहर नहीं जाएंगे।
वहीं, टंडर और खेर का आर्शिवाद रहा तो सूद जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे है उस लिहाज से वह शहर में पार्टी की ओर से  भविष्य के सांसद उम्मीदवार तक बन सकते हैं। स्थानीय स्तर पर सूद की पकड़ इतनी मजबूत है कि उनकी सहमति के बिना पत्ता भी हिलना संभव नहीं है। कुल मिलाकर सूद सही मायने में बिग बॉस बन चुके हैं।

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