मनोनित पार्षद : तीन पूर्व मेयर को सत्ता पक्ष ही भूला बैठी
चंडीगढ़। निगम में मनोनित पार्षदों के चयन के साथ ही तमाम राजनीतिक और गैर-राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं। बात अगर सत्ता पक्ष भाजपा की करें तो पार्टी के भीतर अंतर कलह जारी है। वहीं, अगर मनोनित पार्षदोें के चयन को लेकर चर्चा की जाएं तो सत्ता पक्ष के भीतर ही शहर की पूर्व मेयर आशा जसवाल और राजबाला मलिक और वर्ष 2019 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई पूर्व मेयर पूनम शर्मा के नाम पर तो विचार तक नहीं किया गया। निगम के पिछले कार्यकाल वर्ष 2017 से 2021 तक में पूर्व पार्षद आशा जसवाल और राजबाला मलिक तो मेयर रह चुकी थी। इसी तरह वर्ष 2015 में कांग्रेस की तरफ से पूनम शर्मा को लेकर दूर दूर तक कोई चर्चा तक नहीं की गई।
नई निगम सदन के लिए जो 9 मनोनित पार्षदों का चयन किया गया है उनमें से दो महिलाओं को भी जगह दी गई है। हालांकि निगम की वर्तमान में स्वच्छता के मोर्चा से लेकर आर्थिक सेहत और शहर से जुड़ी अन्य समस्यों को लेकर स्थिति है उसे देखते हुए पूर्व मेयर और अनुभवी पार्षदों को तरजीह नहीं दी गई। अगर इनमें से दो को मनोनित पार्षद की भूमिका के लिए चयन कर लिया जाता तो निगम को इनके अनुभव का लाभ मिल सकता था। वर्ष 2017 में मेयर रह चुकी आशा जसवाल के कार्यकाल में तो बकायदा आपकालीन बैठक बुलाकर गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट कंपनी को टेकओवर किए जाने का साहसिक फैसला लिया था। जब वह मेयर थी तब उनका अधिकतर फोकस डंपिंग ग्राउंड और गारबेज प्लांट पर अधिक केंद्रित रहता था।

स्वच्छता के मोर्चा पर पुराने इनपुट को लेकर पूर्व मेयर से सेवाए ली जा सकती थी। पूर्व मेयर इस वक्त बीजेपी महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं। इससे पहले तक वह राष्ट्रीय महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष रह चुकी थी। इसी तरह वर्ष 2021 में राजबाला मलिक के मेयर रहते गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट का कब्जे में लिए जाने का कड़ा उठाया गया था। कोरोना काल से प्रभावित होने के बाद भी उनके कार्यकाल में यह उठाया गया कदम काफी बड़ा था। गारबेज प्लांट को कंपनी से निजात मिल सकी थी।
इसी तरह बीजेपी की राष्ट्रीय महिला मोर्चा में सक्रिय पूर्व मेयर पूनम शर्मा अपनी बेबकी और स्पष्टता के लिए जाती हैं। शहरवासी के जेहन में उनके कार्यकाल के यादें ताजा हैं। बतौर मेयर और फिर राष्ट्रीय महिला मोर्चा की सदस्य रहते उन्होंने समय समय पर आपराधिक तत्वों का पर्दाफार्श तक कर सुर्खिया बटोरी थी। तीनों पूर्व मेयर मनोनित पार्षद की भूमिका में इसलिए भी फिट मानी जा सकती थी कि हालिया वर्षो में इन सभी ने निगम की कार्यप्रणाली को करीबी से देखा और समझा था।