अब निगम में बदली बदली दिख सकती है तस्वीर

आप के पंजाब जीत का असर चंडीगढ़ की सियसात पर पड़ेगा

चंडीगढ़। पंजाब विधान सभा के चुनावी नतीजे दो राज्य की राजधानी चंडीगढ़ की सियसत पर खास प्रभाव डाल सकते हैं। लोक सभा चुनाव के अलावा शहर की राजनीती निगम से शूरू होती है। सदन में आम आदमी पार्टी के सबसे ज्यादा 14 पार्षद है। दिसंबर के निगम चुनाव के बाद निगम की सत्ता में आई आप को जनवरी में मेयर चुनाव से अब तक मुह की कहानी पड़ी है। लेकिन अब पंजाब के चुनावी परिणाम आप की लोकल यूनिट के लिए संजीवनी बूटी बन गई है। अब सदन में आप के पार्षद अब पुरे विश्वास से हिस्सा लेने के लिए अपनी बात भी रख सकेंगे। वही, . सदन में संसाद की एक वोट के जरिए अपना मेयर बनाने में सफल रही बीजेपी के लिए आगे की राह कठिन हो सकती है। पहले से ही शहर के निगम और शहर के विकास के मुद्दों से घिरी हुई बीजेपी के लिए अब अफरशाही पर नियंत्रण ढीला पड़ सकता है। अभी तक सदन बैठक में हंगामे की नौबत पर प्रस्ताव वोटिंग के जरिए पारित करा लेते थे। अब बीजेपी के लिए इतनी आसानी से यह सब संभव नहीं होगा। निगम और प्रशासन के उन आला अधिकारियो पर पंजाब की नई सरकार का कही ना कही दवाब होगा जो डेपुटेशन पर निगम और प्रशासन में तैनात है। बीजेपी की लोकल इकाई उत्तरप्रदेश सहित 4 अन्य राज्यो की जीत का जश्न मना रही है। हालांकि राजनितिक गलियरो में इस बात को लेकर चर्चा है की पार्टी हाई कमान की दिखाने के लिए क्या यह सब किया जा रहा है। पार्टी की आपसी गुटबाज़ी का असर पहले निगम चुनाव में दिखा। किसी तरह से कांग्रेस की एक पार्षद और संसाद की वोट के जरिये पार्टी मेयर बनाने में सफल रही थी। लेकिन अगर आप के साथ कांग्रेस के भीतर टूट फुट नहीं हुई तो बीजेपी के लिए अगले वर्ष से मेयर चुनाव में अपने उम्मीदवारो को बरकरार रखने का भी चैलेंज होगा। अब निगाह लोक सभा चुनाव पर : चंडीगढ़ निगम और पंजाब विधान सभा चुनाव के परिणाम के बाद आप का अगला मिशन 2024 के लोक सभा चुनाव पर टिक गयी है। हालांकि इन चुनाव में संभावनयो को लेकर अभी कहना थोड़ा जल्दबाज़ी भरा होगा। इन चनाव में अभी 2 वर्ष का समय है। पंजाब विधान सभा चुनाव में गायब रही संसाद खेर, लोकल नेताओ का जादू भी काम नहीं आ सका :पंजाब विधान सभा चुनाव में संसाद किरण खेर किसी परिदृश्य में नज़र नहीं आई। मेयर चुनाव में अपनी वोट देकर पूरी तरह से सक्रिय रही खेर के समर्थक अक्सर सवाल उठाये जाने पर उनकी बीमारी का हवाला देकर सहानभूति का कार्ड खेलते है। पिछले दिनों बिजली निजीकरण को लेकर पुरे शहर में ब्लैकआउट के हालत पर भी सांसाद खेर गायब रही।दूसरी और बीजेपी चंडीगढ़ के बड़े बड़े नेता पंजाब चुनाव प्रचार में जुटे रहे। लेकिन उनका जादू नहीं चल सका। कई कारको और आगे के संकट से निवारण को लेकर आत्म मंथन करने का अब समय है। लेकिन यहाँ विडंबना यह है की पार्टी ही कई ख़ेमो में विभाजित है। जश्न में जरूर सभी ने एकजुटा का मुखोटा पहना होता है।

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